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भारती मधु | bhaaratee madhu case study

भारती मधु | bhaaratee madhu case study

प्रदीप भारती जिनसे हम आज बात करने वाले हैं। वह बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की खोज में दिल्ली चले गये। दिल्ली पहुँचने के बाद कई समस्याओं का सामना करना पड़ा तो उन्होंने निर्णय लिया कि अब मैं अपने स्वाभिमान के साथ काई रागझौता नहीं करूगा और अपना कुछ व्यवसाय शुरू करूंगा। 

प्रदीप जी राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा पहुँचे जहाँ पता चला कि मधुमक्खी पालन पर एक प्रशिक्षण होने वाला है। उन्होंने उस प्रशिक्षण में भाग लिया ।


इस व्यवसाय की शुरूआत आपने कैसे की?


मैंने इसकी शुरूआत पाँच बक्सों के साथ की पर जानकरी के अभाव में मेरे तीन बक्रो खत्म हो गये। पर मैनें हार नहीं मानी और मैं सफल मधुपालकों के साथ सीखने चला गया। लगभग 3-4 महीने उनके साथ रहकर मैंने मधुमक्खी पालन के बारे में छोटी-छोटी चीजों को सिखने का प्रयारा किया। 

वहीं से 10 बक्से लेकर पुनः मैंने मधुमक्खी पालन शुरू किया। यहां बहुत ही रोचक बात है कि अधिकतर जब कोई मधुमक्खी पालन पर प्रशिक्षण लेकर इसकी शुरूआत करते हैं। यदि वो सफल नहीं होते हैं तो वो व्यवसाय को छोड़ देते है मगर प्रदीप जी इस व्यवसाय में जुड़े रहें।


क्या कारण था की आप इस व्यवसाय से लम्बे समय से जुड़े रहे?


इस व्यवसाय में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, परन्तु असफलताओं से हमे सीख लेनी चाहिए और यदि आप ऐसा करते है तो कभी असफल नहीं होंगे। हमें असफलताओं से सीख लेकर सफलता का मार्ग सुनिश्चित करना चाहिए।


आपकी सफलता की कुंजी क्या है?


मैंने हमेशा अपनी असफलताओं से सीख लिया और यह जानने की कोशिश करता हूँ कि मैं क्यों असफल हुआ। मैं गलतियों को दोहराने का प्रयास नहीं करता इसी प्रकार आगे बढ़ते गये हमारे


अधिकतर मधुपालक उत्पादन में ही रह जाते हैं। मगर आपके साथ अच्छी धीज यह है कि आपने बाजार का काम भी शुरू किया। जब आप व्यवसाय शुरू करते है तो बहुत सारे लोगों से आपको जुड़ना पड़ता है उदहारण के तौर पर आपको डिब्बे लेने पड़ेगे। मधु को बाजार में बेचना पड़गा इत्यादि।


आपने आपना बाजार कैसे विकसित किया?


शुरूआत से ही मेरी सोच थी कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार से जोड़ सकूं। जब हम अपना मधु बड़ी बड़ी कम्पनी को बेचते थे तो उसका सही मूल्य नहीं मिल पाता था उनकी कहीं


न कहीं एकाधिकार था और वे ऐसा सोचते थे कि कम दाम में हमसे मधु खरीद लेंगे। उसको खत्म करने के लिए अपना ब्राण्ड स्थापित किया और मैं स्वयं बाजार में उत्पाद को बेचने लगा।


आपने मार्केटिंग का कार्य कैसे शुरू किया?


सबसे पहले मैंने सभी मधु बेचने वाली कम्पनियों के उत्पादों का अध्यन किया। उत्पाद के विभिन्न पहलुओं जैसे कि ट्रेड मार्क क्या होता है, एफ.एस. एस.ए.आई. क्या होता है। इनको समझने की कोशिश की। इसके पश्चात मैं पटना गया और वहां पर विशेषज्ञों से मुलाकात की। तदपश्चात मैंने कार्य को आगे बढ़ाया।


आपको क्यों लगा की आपको मार्केटिंग में उतरना चाहिए?

बाजार में उपलब्ध मधु का मूल्य निर्धारित है परन्तु कच्ची मधु का कोई मूल्य निर्धारित नहीं है। औसतन कच्ची-मधु का मूल्य क्या है? सामान्यतः 80-100 रूपये प्रति किलों की दर से कच्ची-मधु का मूल्य मिलता है। एक किलों कच्ची-मधु से प्रसंस्करण के बाद कितनी मधु तैयार होती है? मुख्यतः एक किलो कच्ची-मधु से 900 ग्राम शुद्ध शहद प्राप्त होता है इसके अतिरिक्त 10रूपये प्रति किलो प्रोसेसिंग चार्ज लगता है।

आपने लोगों को कैसे मधु को बेचना शुरू किया?


सबसे पहले दुकानों में जा करके सम्पर्क करता था और अपने ब्राण्ड ( भारती मधु) के दारे में बताता था। और यह भी बताने की कोशिश करता था कि इस मधु को हमने स्वयं से तैयार किया है जिसमें किसी तरह की मिलावट की संभावना नहीं है। दूसरी कम्पनियाँ स्वयं से उत्पादन नहीं करती है परन्तु हम स्वयं से उत्पादन करते हैं और सीधे मार्केट तक पहुँचाने का कार्य करते हैं। 

धीरे-धीरे लोगो में यह विश्वास जगा कि क्यों न इसकी ही मधु को बेचें जो कि अपना उत्पादन करता है। मैंने लीची मधु सरसों मधु, जामुन मधु, तुलसी मधु आदि को मैंने अलग-अलग करके बेचना शुरू किया। आपने जो भी बातें की वो ग्राहक के लिए ठीक है।


अपने उत्पाद को बेचने हेतु होलसेलर एवं रिटेलर को कैसे प्रोत्साहित किया?


अधिकतर कम्पनी 12-15 प्रतिशत का मुनाफा देती है मगर मैंने अपने उत्पाद में 20-30 प्रतिशत का


मार्जिन होलसेलर एवं रिटेलर को देता हूँ।


आपने विभिन्न आकार की पैकेजिंग क्यो की?


उन सभी लोगों को ध्यान में रख कर मैंने अपने उत्पाद की पैकेजिंग की है जिससे की जो गरीब लोग हैं वो भी शहद खरीद सके और ज्यादा पैसे वालों के लिए हमने बड़ा पैकेज बनाया है। हिन्दू धर्म में विभिन्न रीती-रिवाजों में तथा बच्चों को शहद दिया जाता है। तो लोग 10 रूपये खर्च करके भी शहद खरीद सकते हैं।


बाजार विस्तार के लिए आपके के पास क्या रणनीति है?


ऑन लाईन मार्केट के माध्यम से हम अपने उत्पाद को बेचेंगे। जब आप अपने उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर पर ले जायेंगे तब आपको बहुत अधिक मात्रा में उत्पाद की आवश्यकता होगी। आप अभी 50 टन मधु का उत्पादन करते हैं। इतनी बड़ी मात्रा में शहद कहां से लायेगें दूसरे मधुपालकों से कम पैसे में दूसरी कम्पनियाँ उत्पाद खरीदती है। हम दूसरे किसानों की मधु खरीदेंगे और केवल 10 प्रतिशत अपना लाभ रखेंगे बांकी हम किसानों को देंगे इस प्रकार आप मधुपालाकों का एक नेटवर्क स्थापित करेंगे। कई बार मधुपालकों के लिए यह एक लाभकारी व्यवसाय नहीं होता है वैसे स्थति में यदि आप उनको ज्यादा नुनाफा देंगे उससे उनको फायदा होगा।


आप और क्या नया करने वाले है?


शहद के अतिरिक्त इसे जुड़े अन्य उत्पाद जैसे की हनी पॉलेन, वैक्स, बी-वेनम, रॉयल जेली इत्यादि


उत्पादों को बेचेंगे। मैं आपको दिखाना चाहुँगा ये हनी पॉलेन है जिसकी कीमत 2000-2500 रूपये प्रति किलो है। हनी पॉलेन को कौन से लोग खरीदते है? क्या सुगमता से इसका बाजार आपको मिल जाता है। यह हेल्थ के लिए बहुत ही लाभकारी है और हाई इनर्जेटिक है। यह मुख्यतः ज्याद पैसे वाले लोग खरीदते हैं पर हम अभी इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अभी हम 100 ग्राम का मूल्य 300 रूपये रखे हुए है। इस प्रकार छोटे-छोटे पैकेट में हम इसको बेच रहे है।


आप अभी हनी प्रोसेसिंग किस प्रकार कर रहे हैं?


अभी हम मधु का प्रसंस्करण मैनुअल तरीके से कर रहे हैं। क्या यह संभव है कि आप 50 टन मधु का प्रसंस्करण मैनुअल तरीके से कर सकते हैं। नहीं -नहीं हम कुछ मात्रा बिहार कृषि विशावि्यालय, सबौर से भी करवाते हैं। क्या भविष्य में आप अपना प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करेंगे। हाँ हमारी अलगी योजना इस चीज की है।


आप अपने उत्पाद की पैकेजिंग कैसे करते है?


पैकेजिंग करने के लिए हमारे पास कुछ मशीन उपलब्ध है। क्यो आप इसको भी मैनुअल तरीके से करते हैं। कुछ हमारे पास हैड ऑपरेटेड और कुछ मशीनें ऑटोमेटिक भी हैं।


पहले से ही हनी के ब्राण्ड उपलब्ध है आपका ब्राण्ड दूसरे से कैसे भिन्न है? आपके हनी की यू.एस.


पी. क्या है?


हमारे बाण्ड में उपयोग में आने वाली शहद का उत्पादन हम स्वयं से करते हैं। इसके कोई भी रसायनिक मिलावट नहीं है। यह पूरी तरह से ऑरगेनिक है।


मेरा ऐसा मानना है कि हमारे युवा प्रदीप जी से सीख लेंगे कई बार हम सोचते है कि उद्यमी बनने हेतु एक अच्छा वक्ता होना जरूरी है। आपने आज एक ऐसे उद्यमी की कहानी देखी कि जिन्होंने छोटे से गांव से अपने उद्यम की शुरूआत की और कोई बड़ा एक्सपोजर नहीं है और आज एक सफल उद्यमी है जो साल में 50 से 60 लाख रूपये अपने व्यवसाय से कमाते हैं। प्रदीप जी की



कहानी एवं उनकी सोच से बहुत सारी चीज सीख सकते है। आइये देखते है प्रदीप जी से क्या-क्या


  • सीखा  प्रदीप जी ने अपने उद्यम की शुरूआत बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल रो शुरू किया।
  •  उन्होंने अपनी गलतियों से सीख ली ।
  • मूल्य श्रृंजा सकता है
  • खला में बहुत सारी खामियां थी जिनको उन्होंने दूर किया। • हमें अपने उत्पाद के बारे में ग्राहकों को बताना पड़ेगा कि उसकी यू.एस.पी क्या है।
  • विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के मध्य विश्वास पैदा करने की आवश्यकता है। उन्होंने विभिन्न साईज की पैकेजिंग की सभी स्तर के लोग इसको खरीद सके मार्केटिंग के उन्होंने नये-नये तरीके अपनाये।
  • प्रदीप जी ने मधुमक्खी पालकों का नेटवर्क तैयार करना चाहते हैं। • उन्होंने शहद तथा उससे जुड़े विभिन्न उत्पादों को बनाने की कोशिश कर रहे है।

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